AI टूल्स जैसे Gemini, ChatGPT, इत्यादि आजकल हर जगह यूज़ हो रहे हैं—कोई निबंध लिखवा रहा है, कोई कोड जनरेट करवा रहा है, तो कोई सवाल-जवाब में मज़े ले रहा है। लेकिन एक चीज़ है जो आपने नोटिस की होगी, कभी-कभी ये AI टूल्स बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ गलत जवाब देते हैं।
और यहीं आता है एक शब्द: Hallucination
AI Hallucination क्या होता है?
जब AI ऐसा जवाब दे जो सुनने में सटीक लगे लेकिन असल में गलत या मनगढ़ंत हो, तो इसे hallucination कहा जाता है। जैसे, AI कह दे कि "भारत के राष्ट्रपति 2025 में श्रद्धा कपूर हैं"—ये गलती नहीं, एक hallucination है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि LLMs (Large Language Models) का काम है भाषा के पैटर्न को पहचान कर संभावित अगला शब्द या वाक्य चुनना। वो असल में 'सच' और 'गलत' को नहीं समझते, बल्कि आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाते हैं।
LLM गलतियाँ क्यों करता है?
कुछ मुख्य वजहें हैं:
ग़लत या अधूरी ट्रेनिंग डेटा: अगर जानकारी मॉडल तक पहुँची ही नहीं, तो वो अपनी तरफ़ से जोड़ने लगता है।
अनिश्चितता(uncertainty) को स्वीकार न करना: AI को “मुझे नहीं पता” कहने की आदत नहीं होती।
प्रश्न में अस्पष्टता(क्लेरिटी की कमी): जब सवाल सही ढंग से नहीं पूछा गया हो, तो AI भी गड़बड़ा सकता है।
तो कैसे बचें Hallucinations से, समाधान:
1. Prompt Engineering
Prompt Engineering मतलब, AI से सही तरीके से और स्पष्ट भाषा में सवाल पूछना।
कुछ आसान टिप्स:
सटीक निर्देश दें: “Quantum computing समझाओ” से बेहतर होगा “Quantum computing को आसान शब्दों में समझाओ, बिना टेक्निकल jargon के।”
फॉर्मेट सेट करें: “3 बुलेट पॉइंट्स में समझाओ”, “टेबल में तुलना करो” जैसी बातें मॉडल को गाइड करती हैं।
चेन-ऑफ-थॉट (CoT): AI से कहें कि सोचकर स्टेप-बाय-स्टेप जवाब दे। खासकर गणित या लॉजिक आधारित सवालों में ये बहुत मददगार होता है।
नेगेटिव निर्देश: "तारीख और युद्धों का जिक्र मत करो" जैसे निर्देश गलत जानकारी को रोक सकते हैं।
उदाहरण देकर सवाल करें: अगर आप चाहते हैं कि उत्तर एक खास स्टाइल में हो, तो पहले उसी स्टाइल का एक उदाहरण दें।
2. Inference Adjustment
AI के जवाबों की गुणवत्ता सुधारने के लिए हम कुछ टेक्निकल सेटिंग्स का भी सहारा ले सकते हैं। इसे कहा जाता है Inference Adjustment।
मुख्य तकनीकें:
Temperature: कम टेम्परेचर (जैसे 0.2) सेट करने से जवाब ज़्यादा सटीक और कम रैंडम होते हैं। आसान शब्दों में बोला जाए तो जितना कम टेम्परेचर उतना straight-forward उत्तर, टेम्परेचर बढ़ाना मतलब AI मॉडल को ज्यादा क्रिएटिव होने की छूट देना। ज्यादा टेम्परेचर से hallucinations की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप टेम्परेचर हमेशा कम या डिफॉल्ट ही रखना है, बल्कि यूज-केस के हिसाब से काम करना है।
Top-k / Top-p Sampling: AI को सिर्फ भरोसेमंद टोकन चुनने को कहें, इससे अनावश्यक कल्पना कम होगी।
Context बढ़ाना: अगर सवाल के साथ ज़्यादा जानकारी (context) दें, तो मॉडल बेहतर जवाब देगा।
Note: गूगल
AI-Studio आपको इन सेटिंग्स को एक्सप्लोर करने का मौका देता है।
इंफ्रेस एडजस्टमेंट के बाबजूद भी LLMs हेल्यूसिनेट क्यों करते है?
कभी कभी LLMs गलत जवाब देते है क्योंकि ये एक्चुअल में किसी चीज को नहीं समझते बल्कि डेटा के पैटर्न(मतलब वर्ड्स अक्सर साथ आते हैं) को फॉलो करके रेस्पॉन्स देते है, ये पूरी तरह प्रोबेबिलिटी पर निर्भर होते है।
गलतियों को कम करने के और उपाय
स्पेशल ट्रेनिंग (Fine-Tuning): खास विषय जैसे मेडिकल, लीगल आदि पर अतिरिक्त ट्रेनिंग देकर मॉडल की सटीकता बढ़ाई जा सकती है।
मानवीय निरीक्षण (Human-in-the-Loop): महत्वपूर्ण मामलों में मानव विशेषज्ञों द्वारा जवाब की जांच जरूरी होती है।
Retrieval-Augmented Generation (RAG): बाहरी विश्वसनीय डाटाबेस से जानकारी की जांच करना।
निष्कर्ष: AI से सही जवाब कैसे लें?
सवाल साफ और स्पष्ट रूप से पूछें।
ज़रूरत हो तो उदाहरण और फॉर्मेट बताएं।
टेक्निकल सेटिंग्स का समझदारी से उपयोग करें।
जहां ज़रूरी हो, मानव समीक्षा और बाहरी स्रोतों की मदद लें, AI रिस्पॉन्सेस को डबल–चेक जरूर करें।
याद रखें: AI टूल्स बहुत ताकतवर हैं, लेकिन वो अभी भी इंसानी समझ से दूर हैं। अगर हम थोड़ा सोच-समझकर इनसे बात करें, तो ये हमारे लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकते हैं।
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